
पानी के बहाव की तरह
ज़िन्दगी बहती जाती है
ना रूकती है , ना पलटती है
और ना ही रुक के सोचती है
की क्या साथ बह रहा है
कभी कुछ पल , कुछ लोग
छूट भी जाते है
कुछ गहराइयों में खो भी जाते है
किसी किनारे पे अलग हो जाते है
घोर अँधेरे में
सुबह की धूप में
समय की ताल पे
पत्थर आये तो रुख मोड़ लेती है
बारिश के बहाव में रफ़्तार तेज हो जाती है
सूखे में चुपके से आहिस्ता हो जाती है
कुछ पीछे नहीं रहता
लेकिन फिर भी कुछ एक जैसे नहीं रहता
पानी के बहाव की तरह ...ज़िन्दगी

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